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आवारा बादल

भाग 16


आरंभ 

मीना भाभी को छत पर अनावृत नहाते देखे हुए दो दिन गुजर गये थे । इन दो दिनों में रवि घर से बाहर कम ही निकला था । डर का साया अभी उससे चिपका हुआ था । उसके लाख चाहने पर भी वह साथ छोड़कर नहीं गया था । मगर उस साये की पकड़ ढ़ीली अवश्य हो गयीं थी । रवि को अब विश्वास हो चला था कि मीना भाभी उस बात को अब नहीं बतायेंगी । उन्हें अगर बताना होता तो वे अब तक तो बता चुकीं होती । और यदि वे बता चुकी होती तो अब तक तूफान आ जाता घर में । फिर उसे मां का सामना करना पड़ता । अभी तक तो ऐसा हुआ नहीं था इसलिए आगे भी संभावनाएं क्षीण होती जा रही थी । मां से सामना होना ही एक ऐसा काम था जिससे वह बचना चाहता था । पर मीना भाभी की वह अनावृत मूर्ति बार बार आंखों के सामने आ जाती थी । 

उस घटना को तीन दिन हो गये थे । रवि स्कूल से वापस घर आ रहा था ।  अपने घर के चबूतरे पर मीना भाभी खड़ी हुईं थीं । उनकी गोदी में उनका बेटा मुन्ना था और वे मुन्ने के साथ खेल रही थी । उन्हें सामने देखते ही रवि की सिट्टी पिट्टी गुम हो गयी । पता नहीं कैसे रिएक्ट करेंगी मीना भाभी उसे देखकर ? कहीं ऐसा नहीं हो कि वे वहीं पर ही चालू हो जायें ? अगर ऐसा हुआ तो वह कहीं भी मुंह दिखाने के काबिल नहीं रहेगा । इसलिए नजरें झुकाकर उनकी उपस्थिति को इगनोर करते हुए रवि अपने घर की ओर बढ़ गया । पता नहीं मीना भाभी ने देखा था या नहीं मगर उसे टोका नहीं । रवि ने समझा कि भाभी ने उसे आते हुए नहीं देखा होगा । अगर देख लेतीं तो टोका टाकी अवश्य करतीं । घर पहुंच कर उसकी सांस में सांस आई । उसका दिल जोर जोर से धड़क रहा था । वह चुपचाप अपने कमरे में आकर कुर्सी पर बैठ गया और पिछले दिनों घटित हुई घटनाओं के बारे में सोचने लगा । इतने में एक पतली सी मीठी आवाज ने उसे चौंका दिया । 
"चाची पांय लागूं"
रवि को यह आवाज जानी पहचानी सी लगी । मगर उसने सोचा कि सरपंच का घर है इसलिए यहां पर औरत और मर्द अपने काम के लिए आते ही रहते हैं । आयी होगी कोई औरत । सभी औरतों की आवाज एक सी ही होती है , पतली और मीठी । होगी किसी की , उसे क्या ? वह अपने विचारों की श्रंखला में खो गया पर उसका ध्यान वहीं पर था । उसकी धुकधुकी बढ़ गई थी । आने वाली दूसरी आवाज उसकी मां की थी । 
"आओ आओ, मीना । आज तो बड़े दिनों में आई हो" । 

अब तो शक की कोई गुंजाइश ही नहीं थी । वह औरत मीना भाभी ही थी । मां की आवाज ने उसकी धुकधुकी और बढा दी थी । यह मीना भाभी क्यों आई है हमारे घर ? कहीं वह उस घटना को बताने तो नहीं आई है ? अगर ऐसा हुआ तो आज उसकी मौत निश्चित है । कुर्सी पर बैठे बैठे ही कंपकंपी छूट रही थी उसकी । 

"हां चाची । आजकल काम की वजह से कहीं आना जाना होता ही नहीं है । जाड़े के दिन होते भी तो छोटे छोटे से हैं । मेहमान की तरह कब आये और कब गये पता ही नहीं लगता है" । मीना भाभी अंदर आते हुए बोली । 
"हां, ये तो है । ना दिन का पता चलता है और ना ही धूप का । लगता है कि धूप भी सर्दी से डरकर कहीं दुबक गई है" । रवि की मां ठंड से कांपते हुये बोली " और शांति भाभीजी ( मीना की सास )  कैसी हैं" ?
"ठीक हैं । मुन्ने के साथ लगी रहतीं हैं दिन भर । दोनों दादी पोता खेलते रहते हैं सारे दिन । दोनों का एक दूसरे के बिना मन ही नहीं लगता है, चाची । इससे मुझे भी थोड़ा आराम मिल जाता है और इसी बीच घर का काम भी हो जाता है " । मीना भाभी लंबी बातें करने के मूड में लग रही थीं । रवि न केवल उनकी बातें सुनकर रहा था बल्कि खिड़की में से छुप छुप कर देख भी रहा था । 
"कहो मीना , कैसे आना हुआ" ? मां ने मुद्दे की बात पर आते हुए कहा । 
"क्या बताऊं चाची ,  हमारी रसोई का बल्ब फ्यूज हो गया है । घर में और कोई मर्द तो है नहीं इसलिए सोचा कि बल्ब किनसे बदलवाऊं ? लाल जी (रवि)  घर में हैं क्या" ? मीना भाभी ने अपना सिर इधर उधर घुमाते हुए कहा । मीना भाभी रवि को लाल जी कहती थी । अपना नाम सुनकर रवि एकदम से चौंका । पता नहीं क्या चल रहा है उधर ? रवि ने अपने कान उधर ही लगा दिये । खिड़की से उसने झांककर देखा तो पाया कि मीना भाभी उसके कमरे की ओर ही देख रही थीं । 
"कौन रवि ? हां है , अभी अभी स्कूल से आया ही है " 
"तनिक बुलवाय दो न उनको " । 
"ठीक है बुलवाते हैं " । और लगभग चीखते हुये मां जोर से पुकारने लगी "रवि , ओ रवि । जरा देख तो बेटा , कौन आया है" ? 
रवि खिड़की से यह सब देख तो रहा ही था और चुपके चुपके सारी बातें सुन भी रहा था इसलिए "आया मां" कहकर वह बाहर निकल आता है । सामने  मीना भाभी को देखकर चौंक जाता है जैसे कि उसने कोई अजूबा देख लिया हो । मीना भाभी भी उसी की ओर देख रही थी । जैसे ही रवि की नजर मीना भाभी से मिली, भाभी के अधरों पर एक मोहक सी मुस्कान खेल गई । कातिल मुस्कान से रवि का कलेजा धक्क से रह गया था । "पता नहीं क्या खेल खेल रही हैं मीना भाभी उसके साथ" । वह चिंता में पड़ गया और बड़ी मुश्किल से वह इतना ही बोल पाया था कि 
"मां । आपने मुझे बुलाया" ? 
"हां, जरा तेरी मीना भाभी की बात सुन और जो ये मदद मांगे वह कर दे । ठीक है ? मैं तो भैंसों को चारा डालने जा रही हूं" 
रवि का माथा ठनका "कहीं भाभी ने वो तो नहीं कह दिया है जो उन्हें नहीं कहना था । पर अगर वो वह घटना मां से कह देती तो यहां का नजारा दूसरा ही होता" । इसका मतलब था कि मीना भाभी ने अभी कुछ नहीं बताया है । थूक गटक कर जैसे तैसे करके वह बोला 
"जी भाभी। बताइये मुझे क्या करना है" ?  उसने कह तो दिया मगर वह अभी भी खौफ में ही जी रहा था । 

भाभी ने चुटकी लेते हुए कहा " क्या बात है लाल जी, कुछ सहमे सहमे से लग रहे हो ? कोई विचित्र सी चीज देख ली है क्या" ? मीना भाभी पूरी शरारत पर उतर आईं थीं । रवि को ऐसा महसूस हुआ जैसे उसकी चोरी पकड़ी गई हो । उसे काटो तो खून नहीं । उसने एक बार मीना भाभी की ओर देखा । भाभी के चेहरे पर डर और शर्म के कोई भाव नहीं थे । रवि को थोड़ा आश्चर्य हुआ । तीन दिन से उसकी तो हालत पतली हो रही है और मीना भाभी तो मजे ले रही हैं । गजबे है । मन ही मन वह क्रोधित हुआ मगर वह कुछ बोला नहीं । 
उसे मौन देखकर भाभी ने मुस्कुराते हुए फिर से कहा "कोई अजूबा सपना तो नहीं देख लिया लाल जी । इस उमर में परियों के सपने बहुत आते हैं । सपने में कोई परी वरी किसी तालाब पर नहाते हुए तो नहीं देख ली थी" ? भाभी आंख मारकर बोली । वह अब मस्ती के मूड में आ गयी थी । 
इस पर रवि कुछ कहता उससे पहले ही रवि की मां बोल पड़ी "लगता है कि आज तो फुल मस्ती के मूड में है तू । रवि तो अभी बच्चा है । ये नहीं जानता है अभी ऐसी बातें । नैक बड़ो है जाने दे, फिर खूब छेड़खानी करियो या ते" । मां भी भाभी को देखकर हंस दी । 
रवि की ओर अर्थ भरी नजरों से देखते हुये भाभी कहने लगी "लगता तो नहीं है चाची कि लाल जी अब बच्चे हैं । दाढ़ी मूंछ भी आने लगी हैं इनके तो । कंधे भी चौड़े हो गये हैं और सीना भी भर रहा है इनका  । लाल जी अब तो गबरू जवान हो गये हैं चाची । अब तो आप इनकी शादी की तैयारी शुरू कर दो" । मीना भाभी रवि के लिए जाल बुन रही थी । 

"तू भी ना मीना एक बच्चे के सामने न जाने क्या क्या अनाप शनाप बके जा रही है । मेरा रवि तो बहुत सीधा सादा है । वह क्या जाने अभी परी वरी को ? अभी तो दसवीं में ही पढ रहा है रवि । इन सब बातों के लिए वह अभी छोटा है । हंसी ठठ्ठा करने के लिए किसी और को पकड़ । इसे तो छोड़ दे"। 
रवि की मां ने रवि की ओर देखकर कहा "जा बेटा, इनके घर का बल्ब बदल आ" । जैसे मां नहीं चाहती थी कि ये हंसी ठिठोली और आगे बढ़े इसलिए उसने इस पर यहीं फुल स्टॉपलगा दिया था । 
मीना भाभी अभी और मस्ती के मूड में थी मगर रवि की मां के इस तरह कहने के बाद उसके और रवि के पास कोई विकल्प नहीं बचा था । वह मीना भाभी के साथ  जाना नहीं चाहता था मगर मां के आदेश की अवहेलना भी नहीं कर सकता था । इसलिए वह मीना भाभी के पीछे पीछे चल दिया । मीना भाभी खुश हो गयी । उसके बिछाये जाल में "कबूतर" धीरे धीरे फंस रहा था । 

मीना भाभी रवि को लेकर अपने घर आ गई । मीना भाभी के घर में केवल दो ही प्राणी थे उस समय । मीना भाभी और रवि । मीना की सास शांति मुन्ने को लेकर पड़ोस में बतियाने चली गई थी । रवि का दिल जोर जोर से धड़क रहा था कि पता नहीं भाभी उसे क्या कहने वाली है उस दिन की घटना के बारे में ? घर के अंदर पहुंचते ही एक कुर्सी की ओर इशारा करते हुए भाभी बोली "तुम यहां बैठो लाल जी, मैं बल्ब लेकर आती हूं" । और भाभी एक कमरे में चली गई । रवि को चैन की सांस मिल गई थी । 
रवि चुपचाप उस कुर्सी पर बैठ गया । मीना भाभी अंदर कमरे में से एक नया बल्ब लेकर आई और उसे रवि के हाथों में देकर बोली "इसे लगा देना" । बल्ब देते समय उसकी उंगलियां रवि की उंगलियों से साथ छू गई थी । कोमल उंगलियों का नाजुक स्पर्श पाकर रवि का पूरा तन बदन झंकृत हो उठा । ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था । इस तरह छूने का यह एक नया अहसास था । उसे डर भी लग रहा था और सुखद भी । मीना भाभी रवि के हाव भावों को गौर से देख रही थी । 

रवि ने बल्ब हाथ में लेकर कहा "कौन सा बल्ब फ्यूज है भाभी" ? 
"किचन का" । मीना भाभी ने हाथ से किचन की ओर इशारा करते हुए कहा । 
रवि किचन में घुस गया और उसने बल्ब की ओर देखा । बल्ब काफी ऊंचाई पर लगा हुआ था जो उसकी पहुंच से बाहर था । 
"कोई कुर्सी या मेज मिलेगी भाभी जिस पर चढ़कर इसे बदल दूं मैं "? बड़ी मुश्किल से वह कह पाया था । 
"हां, मैं लाती हूं" । 
और मीना भाभी एक भारी मेज उठाने का प्रयास करने लगी । मेज बड़ी थी इसलिए अकेले से उठने का नाम नहीं ले रही थी ।  तब रवि ने उस मेज को एक तरफ से उठाया और दूसरी तरफ से भाभी ने उठाया , तब जाकर उठी वह मेज । मेज उठाने के लिए भाभी को थोड़ा नीचे झुकना पड़ा था इसलिए उसकी साड़ी का पल्लू नीचे गिर गया था । मीना भाभी का वक्षस्थल ब्लाउज में साफ दिखाई दे रहा था । रवि की निगाह एक बार वहां गई मगर उसने अपनी नजरें वहां से तुरंत हटा लीं ।

मीना भाभी ने कनखियों से यह सब देख लिया था । मीना भाभी बड़ा सोच समझ कर खेल खेल रही थी । दोनों ने मेज रख दी और रवि उस पर चढ़ गया । उसने बल्ब बदल दिया । भाभी को लाइट ऑन करने को कहा तो भाभी ने लाइट ऑन कर दी । बल्ब जल गया । रवि का काम पूरा हो गया था  । मेज वापस वहीं रखनी थी जहां से उठाई थी । एक बार फिर से दोनों ने वह मेज उठाई और फिर से वही सीन दिखाई दिया । इस बार रवि ने उधर नहीं देखा । मीना भाभी इससे थोड़ी आहत हुईं । उन्हें लगा कि उनका बिछाया जाल रवि को पकड़ पाने में सक्षम नहीं है । रवि जाने को उद्यत हुआ तो भाभी बोली "अरे रुको तो लाल जी, कहाँ जा रहे हो ? पानी वानी तो पीकर जाओ" । 
"नहीं भाभी । अभी प्यास नहीं है" 
"तो चाय पीकर जाओ न । मैं अभी चाय बना देती हूं " । मीना भाभी अपने स्वर में शहद घोलकर बोली । 
"नहीं भाभी, मैं जाकर पढ़ाई करूंगा । मैं अभी जाता हूँ" । रवि ने रुखाई के साथ कहा । 

रवि जाने को हुआ तो भाभी ने उसका हाथ पकड़कर कहा " इतना क्यों डरते हैं मुझसे ? मैं कोई शेरनी तो हूं नहीं जो तुम्हें खा जाऊंगी । इतना डरपोक तो नहीं समझा था आपको लाल जी । आप तो बहुत डरपोक निकले । मर्द होकर एक औरत से डरते हो ? चुपचाप बैठो मैं अभी चाय लेकर आती हूँ । दोनों साथ साथ पीयेंगे चाय" । मीना ने रवि के मर्मस्थल पर,चोट की । पुरुष का स्वभाव है कि वह औरत से ज्यादा मजबूत नजर आना चाहता है । मीना ने पुरुषों की इसी प्रवृत्ति का फायदा उठाया था । 

मीना भाभी के द्वारा इतना प्रेम प्रदर्शित करने और उसे हाथ पकड़कर बैठाने से रवि गदगद हो गया था । अब रवि की हिम्मत नहीं हुई मना करने की । मन ही मन उसे भाभी का थोड़ा खुलापन अच्छा भी लग रहा था । भाभी के हाथों का स्पर्श और भी मधुर लगा था रवि को । वह वहीं कुर्सी पर बैठ गया । भाभी सामने ही चाय बनाने लगी । चाय बनाते बनाते भाभी ने कहा "एक बात पूछूं लाल जी , सच सच बताना" । मीना के चेहरे पर लाली आ गई थी । 
"जी पूछिए" रवि नीची गर्दन किये हुए बोला 
"आपके सपनों में कौन आती है ? रेखा, हेमा या कोई और" ? मीना ने मुस्कुराते हुए पूछा 
रवि इस प्रश्न पर झेंप गया । उसने गर्दन और झुका ली और हलके से मुस्कुरा भर दिया । कहा कुछ नहीं । 
"बोलो बोलो, चुप क्यों हो ? कोई तो आती होगी आपके सपनों में ? हमें भी तो पता चले" ?
"ऐसा कुछ नहीं है भाभी । मैं तो इनको जानता भी नहीं हूं । कौन हैं ये" ? 
रवि की बात पर भाभी खूब जोर से हंसी । कहने लगीं "इतने भोले ना बनो लाल जी, आप सब जानते हो । आज के जमाने की उर्वशी, मेनका , रंभा जैसी परियां हैं ये । हुस्न की मलिका रूप की रानी हैं ये । जवां लोगों के लिये स्वप्न सुंदरियां हैं । ड्रीमगर्ल हैं । सिनेमा में काम करती हैं । आजकल लोगों के ख्वाबों खयालों में यही तो आती हैं । आपके भी आती होंगी मगर आप कहते हुये शरमा रहे हो" । भाभी ठिठोली पर आमादा थी । उनके चेहरे पर शैतानी नाच रही थी । उनका रोम रोम पुलकित था । 
"मैने सिनेमा नहीं देखा है भाभी कभी भी । इसलिए मैं इन्हें नहीं जानता हूं । हां, मेरे स्कूल में बच्चे कभी कभी इनका नाम ले  लेते हैं" 
"वो कैसे और कब" ? 
"किसी लड़की की ओर इशारा करके कहते हैं कि वो रेखा है, वो हेमा है, वो श्रीदेवी है" । 
"अच्छा तो आपने भी किसी लड़की का नाम ऐसा ही रख रखा है क्या" ? 
"नहीं भाभी । मैने ऐसा नाम किसी का भी नहीं रखा है । मैं तो इनके नाम जानता ही नहीं तो रखूंगा कैसे" ?
"सच्ची सच्ची बताओ लाल जी । झूठ मत बोलो । ऐसा तो हो ही नहीं सकता कि कोई भी लड़की तुम्हें पसंद नहीं करे । मुझसे छुपा रहे हो । मुझे सच सच बता दो । मैं किसी को कुछ नहीं बताऊंगी । कसम से । आपकी तो मैं इकलौती भाभी हूं न लाल जी । फिर मुझसे कैसा परदा ? हो सकता है कि लड़की पटाने में मैं आपकी कोई मदद कर दूं । चलो, अब बता दो कि कौन है जो आपके सपनों में आती है ? कोई तो होगी जो तुमको अच्छी लगती होगी" । भाभी अब बिल्कुल खुल गई थी और पूरी तरह से मूड में थीं । 
भाभी की ऐसी बातों से रवि भी अब नॉर्मल हो गया था । वह भी बेतकल्लुफ होकर जवाब दे रहा था । 
"अच्छा एक बात बताओ । किसी लड़की वड़की से तो कोई चक्कर वक्कर नहीं चल रहा है ना लाल जी" । भाभी ने उसकी आंखों में देखकर पूछा । इस प्रश्न पर रवि शरमा गया । 
"कैसी बातें करती हो भाभी ? अभी तो मैं इन सबके बारे में सोचता भी नहीं हूँ और आप चक्कर की बात कर रही हो" ? 
"आजकल के लड़के तो आपकी उम्र में सब कुछ कर लेते हैं" भाभी ने ब्रह्मास्त्र छोड़ दिया था । 
"सब कुछ ? मतलब" ?
"सब कुछ मतलब सब कुछ" । भाभी ने अर्थ भरी मुस्कान के साथ कहा । 
"मैं समझा नहीं भाभी" ? 
उसकी हालत पर भाभी जोर से हंस पड़ी । 
"अरे इतना घबराते क्यों हो ? सब सच सच बता दो । विश्वास करो मेरा मैं चाची को नहीं बताऊंगी" । तब तक चाय बन चुकी थी और दो कपों में लेकर भाभी ने वह चाय एक मेज पर रख दी और वह  वहां पर रखी दूसरी कुर्सी पर बैठ गई । दोनों चाय सिप करने लगे । थोड़ी देर के लिए सन्नाटा पसर गया था वहां पर । 
"अच्छा एक बात बताओ । पर सच सच बताना । बताओगे ना ? पहले मेरी कसम खाकर कहो कि मैं सच सच बताऊंगा" । भाभी रवि के नजदीक आकर बोली । 
"सच सच ही बताऊंगा भाभी । आप पूछिए , क्या पूछना है आपको ? आपकी कसम" । 
भाभी की आंखों में आशस्वता के भाव नजर आये और वह पूछने लगी 
"आपने क्या किसी लड़की को वैसे देखा है" ? एक रहस्य पूर्ण मुस्कान के साथ रवि की आंखों में देखकर मीना भाभी ने पूछा 
"कैसे" ? रवि भाभी के मंतव्य को समझने की कोशिश कर रहा था । 
"जैसे मुझे देखा था उस दिन । छत पर , जब मैं नहा रही थी" भाभी ने धीरे से कहा ।
रवि ने शर्म से अपनी गर्दन नीची कर ली और कोई जवाब नहीं दिया । भाभी रवि के एकदम करीब आ गयी और अपने हाथों से उसकी ठोड़ी उठाकर उसका चेहरा ऊपर करते हुए और आंखों में सीधे देखते हुए बोली 
"क्या किसी लड़की को ऐसे देखा है" ? 
रवि ने इंकार की मुद्रा में सिर हिलाया तो भाभी को बड़ा अच्छा लगा । उसने आगे कहा 
"क्या किसी लड़की को कभी छुआ है ? क्या किसी को कभी  "किस" किया है" ? 

इस सवाल से रवि के दिमाग में रीना की स्मृतियाँ लौट आईं । एक बार तो उसके मुंह से निकलने वाला ही था कि हां, मैंने एक लड़की को किस किया है । मगर वह अगले ही पल संभल गया और भाभी से झूठ बोल गया । 
"नहीं । कभी नहीं भाभी" । 

रवि के मुंह से "ना" सुनकर मीना झूम उठी थी । रवि बिल्कुल "कोरा" था । यह जानकर उसे एक अजीब सा सुकून मिला था । मीना भाभी खुश होते हुये बोली "हाय मेरे भोले भंडारी । मैं तुमपे सदके जावां।  तुम तो वाकई अभी बिल्कुल "कुंवारे" हो , मासूम हो ,अल्हड़ हो , कुछ भी नहीं जानते हो" । भाभी ने उसका चेहरा अपने हाथों में लेकर कहा ।

भाभी की हथेलियों का अपने गालों पर स्पर्श पाकर रवि को बहुत अच्इछा लगा । वह इस बात पर कुछ नहीं बोला, खामोश ही रहा । क्या कहता वह ? रीना को बीच में नहीं लाना चाहता था वह ।  उसे भाभी की ये बातें बहुत अच्छी लग रही थीं । वह चुपचाप सुनता रहा ।

"अच्छा, एक बात बताओ । तुमने उस दिन मुझे नहाते हुये देखा था न । देखा था या नहीं" ? 
रवि इस पर भी खामोश रहा तो भाभी को थोड़ा तैश आ गया "बड़े भोले बन रहे हो लाल जी । एक तो औरतों को नहाते हुए देखते हो और उस पर शरमाते भी हो । बड़े अजीब आदमी हो तुम " ? भाभी के चेहरे की रंगत बदल गई थी । भाभी साम, दाम, दंड, भेद सब कुछ आजमा रही थी । इस बदले व्यवहार से रवि अचकचा गया । उसके मुंह से बरबस निकल पड़ा 
"वो तो अचानक ही नजर पड़ गई थी मेरी उधर । मेरा इरादा आपको नहाते हुए देखने का नहीं था । पर आप भी तो छत पर ऐसे नहा रही थी तो मैं क्या करता ? जब तक मैं संभलता , मैंने आपको अनावृत देख लिया था । इसमें मेरा क्या दोष है ?  मैंनें जानबूझकर तो नहीं देखा था आपको । मेरा इरादा आपको देखने का नहीं था ।  और बाई चांस देख भी लिया तो उसके लिए सॉरी भाभी" । रवि का चेहरा उदास हो गया । 
"मैं कोई सॉरी कहने के लिए थोड़ी कह रही हूँ आपको । मैं तो यह जानना चाहती हूं कि मुझे ऐसे देखकर कैसा लगा था तुम्हें" ? मीना भाभी बाजी पलटते देखकर चाल बदल कर बोली 
मीना भाभी का इस तरह बात करना रवि को अखर गया । रवि कुछ बोला नहीं और खामोश ही रहा तो भाभी ने कहा "यूं हर बात पर चुप्पी लगाओगे तो फिर मैं चाची से कह दूंगी उस दिन की बात, हां" । भाभी अब धमकी पर उतर आईं थीं ।

रवि इस धमकी से डर गया । भाभी अगर मां से कह देगी तो मां क्या सोचेगी ? और भाभी न जाने क्या क्या कह देगी मां से ? रवि बुरी तरह से डर गया था । 
"पर भाभी , मैंने आपको जानबूझकर नहीं देखा था । मैं सच कह रहा हूं भाभी । कसम से ।  वो तो अनायास ही ..." । 
"मैं कब कह रही हूं कि तुमने मुझे जानबूझकर देखा था । पर देखा तो था न । कैसा महसूस हुआ था तुम्हें" ? अब भाभी पुन: उसी जगह ले आई रवि को जहां से उसने बात शुरू की थी   

रवि कैसे बताता कि भाभी को इस तरह अनावृत,  गीले बदन में देखकर कैसा करंट सा लगा था उसे तब । पूरे 11000 वॉट का । सारा शरीर झनझना गया था उसका उस दिन । और उस करंट का झटका अभी तक बरकरार है । मगर वह बोला कुछ नहीं, खामोश ही रहा । 
भाभी ने उसकी आंखों में देखकर कहा "बोलो, कैसा लगा था" ? 
"करंट सा लगा था भाभी । और आज तक लग रहा है" वह शर्माते हुए बोला 
"सच में" ? 
"हां भाभी, सच में । मैंने पहली बार उस अवस्था में देखा था किसी औरत को । इससे पहले कभी ऐसे नहीं देखा था आपको । और आपको ही क्यों, किसी को भी नहीं देखा था ऐसे पहले कभी" । 
"अरे मेरे भोले देवर जी । सच में आप बहुत ही भोले हैं । आपने तो आज मुझे खुश कर दिया है लाल जी "। भाभी ने खुशी से उसे अपने से चिपकाते हुये कहा  "अब आप जाइये । मां जी मुन्ने को लेकर आती ही होंगी अब । ऐसा करना, कल इसी समय फिर आ जाना" । 
रवि ने कुछ सोचते हुये कहा " मां से क्या कहूंगा" ? 

भाभी कुछ देर सोचती रही फिर कहा "मैं सब व्यवस्था कर दूंगी । आपकी मां अगर आपसे पूछे कि रामायण पाठ करना आता है क्या तो तुम हां कर देना , बस । इतना सा करना है । ठीक है" ? 
"जी, ठीक है" । और रवि अपने घर वापस आ गया । 

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1 Comments

Chetna swrnkar

30-Jul-2022 10:49 PM

Nice

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